नए जमाने की नई जात

Hello readers, 

मैं अपने आज के इस नए ब्लॉग में बहुत ही संवेदनशील मुद्दा लेकर आई हूं
जैसा कि आपने मेरे इस नए ब्लॉग के हेडिंग में पड़ा था 
"नए जमाने की नई जात"  तो मेरा आज का पूरा ब्लॉग सिर्फ मेरी अपनी सोच के ऊपर आधारित है

मैंने अपने इस नए ब्लॉग में सिर्फ अपनी सोच प्रस्तुत की है ना की किसी जाति व समुदाय को भड़काने की कोशिश की है
अगर आपको मेरे इस ब्लॉक में कुछ भी भड़काऊ या कुछ भी गलत लग रहा है तो उसके लिए मुझे माफ करें और आप मुझे नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए की आपको क्या और क्यों गलत लगा।

*** इस ब्लॉग को केवल कुछ पढ़े  लिखे समझदार लोग ही समझ सकते हैं***

चलिए फिर शुरू करते हैं.....

कहते हैं समय बदल रहा है और यह बात भी सच है कि हां समय बदल रहा है लेकिन कहीं ना कहीं इस बात को मैं नहीं मानती कि समय के साथ-साथ जमाना भी बदल रहा है उसकी सोच भी बदल रही है

समय तो बदल रहा है
1:00 बजने से 2:00 बज रहे हैं 3:00 से 4:00 बज रहे हैं समय बदल रहा है लेकिन जमाना वही का वही है उसकी सोच वही की वही है 
हां कई मामलों में यह सोच आगे बढ़ी है लेकिन जो हमारे समाज के बहुत ही ज्यादा सेन्सटिव मुद्दे हैं उनको लेकर समाज आज भी वहीं खड़ा है
जिसमें से एक सबसे बड़ा मुद्दा है जात का

जैसा कि हम सब जानते हैं की हमारे पुराने जमाने में सबकी जात को उनके काम के अनुसार बांट दिया गया था जिसका जैसा काम उसकी वह जात

आज इस चीज को बदलने की जरूरत है नए जमाने की नई जात लेकर आने की बेहद जरूरत है तो यहां में यह लिखना चाहूंगी कि अब जमाना वह नहीं रहा जैसी जिसकी जात उसका वैसा काम आजकल लोगों का काम बदल रहा है जैसा कि हमारा समाज ३ वर्ग में विभाजित है

Upper cast ( प्रथम वर्ग)
Middle cast ( द्वितीय वर्ग)
Lower cast( तृतीय वर्ग)
 
प्रथम वर्ग और द्वितीय वर्ग ने आज भी काफी हद तक अपनी जगह को पकड़े रखा है
लेकिन तृतीय वर्ग अब वह नहीं रहा । काफी जगह लोगों में आज तृतीय वर्ग , प्रथम और द्वितीय वर्ग की समानता में है ( कार्य को लेकर )

तो उस वर्ग की अब जात बदलना चाहिए उसको भी प्रथम और द्वितीय वर्ग की जगह देनी चाहिए
अभी भी हमें अपने पुराने वर्ग विभाजन पर अडिग रहना चाहिए 
जात का विभाजन जैस प्राचीन काल में था वैसा अभी भी होना चाहिए ।

जाति को जन्म और पूर्वजों के अनुसार नहीं वल्कि कार्य के अनुसार रखना चाहिए जो जैसा काम करें वह उस जाति का होगा , ना कि जिस पिता के गोद में पैदा हुए तो उस पिता की जात का उसके ऊपर ठप्पा लग जाए और अपनी पूरी पीढ़ी उसी में रह के बिता दें ।

कर्मजाती से हमारे देश में काफी बदलाव आयेगा
इससे हमारे देश का हर इंसान मेहनत करेगा अपनी श्रेणी को बदलने का और अपनी श्रेणी बनाए रखने का ।

इससे लोग मेहनत करेंगे और आगे बढ़ने की बेजोड़ कोशिश करेंगे । ना कि आरक्षण पर निर्भर रहेंगे । आरक्षण का लाभ मिले लेकिन वो सिर्फ जाती आधार पर ना हो कर आर्थिक पर हो ।
इससे देश में बदलाव आयेगा ,जातिवाद खत्म होगा , परिश्रम बढ़ेगा,  और गरीबी भी दूर होगी.

देश में समानता तभी आयेगी जब हमारी पहचान जन्म जाती से बदल कर कर्मजाती से होगी....




1 Comments:

Supraghu said...

Bahut sahi likha hai

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