कैसे ऐसे और जैसे

धोखा तो जमाने को दे दोगे 
लेकिन जब अयेने में देखोगे
तो उस धोखे को
खुद से छुपाओगे कैसे 

सामने से मुस्कुरा के
पीठ पीछे छुरा दागते हो ऐसे
कभी ना लौट कर आयेगा
अब ये वक्त जैसे 

लेकिन वक्त का पहिया
एक दिन घूमेगा ऐसे
बापस उसी दोराहे पर 
खड़े होंगे जैसे

तब झखम खाई जान से 
दया की भीख मंगोगे ऐसे
हफ्तों से भूखा कोई 
रोटी मांगता है जैसे 

याद आयेगा तब तुम्हें 
तुम्हारा वो छुरा दागना ऐसे
बचपन का कोई 
खुशनुमा पल हो जैसे 

चित्त भी उसकी होगी
पट्ट भी उसकी होगी 
तब चाह कर भी कुछ ना कर पाओगे ऐसे
भूख भी है , हांथ में पैसा भी है और सामने छप्पन भोग भी है
पर क्या खाएं समझ में ना आ रहा हो जैसे

बेबस हो जाओगे और
लाचारी पर अपनी रोओगे ऐसे
बहुत कोशिश करने के बाद भी 
किसी अपने को खो दिया हो जैसे 

इस सारी घटनाओं को 
काल्पनिक बना लो ऐसे
की टाइम मशीन से पीछे जाकर
उस पल को बदल दिया हो जैसे

घमंड और जलन को छोड़
अपनों की खुशी में शामिल हो जाओ ऐसे
कोई बंजारा पैसों के खातिर 
नाचता हो किसी की शादी में जैसे







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