Periods के आते ही

छोटी थी तब मैं
जब सब माता का रूप बोल कर
पूजते थे
हर बार नवरात्रों में भोज करा
पैर छू कर आशीर्वाद लेते थे

खुशी खुशी हम भी रहते थे.. 

फिर एक दिन periods शुरू हो गए
और दुनिया बदल गई.. 

जो कल को माता रूप हुआ करती थी
आज वो अचानक से अशुद्ध हो गई
अपने ही कमरे में कैद हो गई

जिसका पैर छू आशीर्वाद लेते हैं
और जिसको मां लक्ष्मी का रूप मानते हैं
Periods के आते ही उसको 
मंदिर में जाने से रोकते है 

अभी तो छोटी ही थी मैं
अभी तक तो बचपन भी न ढला था
लेकिन periods के आ जाने से
इसी रोक टोक में
अचानक से बड़ी हो गई मैं

छूत अछूत का चलता उदाहरण 
बना दिया है हमको 
बाकी दिन तो छूत है 
और periods में 
अछूत बना दिया है हमको 

हां मैं वही लड़की हूं
जो माता का रूप हुआ करती थी 
लेकिन periods के आ जाने से 
मन्दिर गए तो पापी बन जाऊंगी 
ऐसा मां कहा करती थी

किसी से नही कहते पर
दिन भर पेट में दर्द ले कर
सारा काम करते है 
कहीं कभी कोई कपड़ा गंदा न हो जाए
इस बात से घड़ी घड़ी डरते है 

कौन बदलेगा इस रीत को? 
जब औरत ने ही औरत को 
अशुद्ध बनाया है 
लेकिन वेदों में ऐसा कही भी नही दर्शाया है ( की लड़की अशुद्ध हो जाती है periods के आ जाने से)

ऐसे ही ढाला है हमको
ऐसा ही बनाया है 
प्रकृति का नियम है ये तो 
फिर क्यों periods में अशुद्ध माना है ?








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