लो फिर से जी चली

एक मुद्दतों के बाद फिर से जी चली वो,
हर पुराने गम को पीछे छोड़ चली वो, 

ना जाने कहां चली वो,
बस अपने सपने के पीछे चली वो,

अब अपने सपने को जीना है,
उस सपने को पाके रहना है,

वह सपना ही तो है उसके जीने की वजह,
वह सपना ही तो है उसके कठिन परिश्रम की वजह,

पिछली सारी हारो को भूल कर,
एक बार फिर से खुली हवा में उड़ चली वो 

पहले थकी थी  फिर गिरी थी ,
अब अपने सपने को टूटने से बचाने चली वो,,

फिर भी अपनी धुन में कदम बढ़ाती चली वो,
अपनी एक नई रहा बनाने अपनी जिंदगी बनाने चली वो,


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