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लोगो की भीड़ में अकेली सी होती जा रही हूं
क्या करती जा रही हूं ? क्यों करती जा रही हूं
मै कुछ भी समझ ना पा रही हूं
सबसे दूर जाना चाह रही हूं
लेकिन मै खुद को मजबूर सा पा रही हूं
ये कहां चलती जा रही हूं
जहां ना कोई रास्ता है ना मंज़िल
फिर भी ना जाने कहां चलती जा रही हूं
मै तन्हाईयो में खोती सी जा रही हूं
अनजानों में अपनों को ढूंढती जा रही हूं
और अपनों से दूर होती जा रही हूं
मैं भीड़ में अकेली सी होती जा रही हूं
फिर भी ना जाने क्या करती जा रही हूं
सबसे दूर रहना चाहती हूं
सबको अपना बनाना भी चाहती हूं
लेकिन ना जाने फिर क्यों खुद से ही भागती जा रही हूं
मै तन्हाईओं में खोती सी जा रही हूं
खुद को खुद से ही दूर करती जा रही हूं
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