तब जा के मिलता है

जीवन में कुछ आसानी से नहीं मिलता है
बहुत करनी पड़ती है मेहनत 
खुशियों को छोड़ के पसीना बहाना पड़ता है
तब जा के अपने आशियाने में चैन से सोने को मिलता है

खोवाहिसे यूं ही नहीं होती पूरी
दिन रात संघर्ष कर जलना पड़ता है
ना जाने कितने समुंदर को पार करना पड़ता है
तब जा के ख्वाहिशों के सागर को किनारा मिलता है

चलते चलते यूं ही नहीं हासिल हो जाती मंज़िल
कांटे भरे रास्तों पर चलना पड़ता है
कड़ी धूप की बारिश में दर्द को सहना पड़ता है
तब जा के मंज़िल की साख पर कामयाबी का फूल खिलता है 

दो वक़्त को रोटी यूं ही हासिल नहीं होती
बंजर जमी को जोतना पड़ता है
उसको अपने खून पसीने से सींचना पड़ता है
तब जा के दिन और रात का खाना खाने को मिलता है

सपने सिर्फ देखने से साकार नहीं होते
इनको पूरा करने के लिए रातों को भी जागना पड़ता है
अपने हौसले को बुलंद करना पड़ता है 
तब जा के सपना असल ज़िन्दगी से मिलता है

  

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