काश मै हवा होती

काश मै हवा होती 
बेफिक्र हो कर बेहती 
सबके कानों में आ के
चुपके से सब कुछ कहती

काश मै हवा होती 
चुलबुली सी 
सबको छेड़ती सी 
ठंडी शीतल ताजगी भरी सी

जिस रंग में घुलती 
उस रंग को ओढ़ती 
बार बार अपने रूप को बदलती
हर कहीं बहती इठलाती 

काश मै हवा होती
कभी किसी के बालों को उलझाती
तो कभी किसी के गालों को सहलाती 
कभी किसी डाली को  हिलाती
तो कभी मुरझाए फूलों की पत्ती को गीराती 

काश मैं हवा होती
आसमान में बहती
सूरज से गर्मी को लाती
तो कभी सागर की लहर बन जाती

काश मै हवा होती
कभी फसलों को लहराती
तो कभी फूलों से खुश्बू को चुराती

काश मै हवा होती















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