और जो चेहरे से झलकती है
वहीं सिर्फ सुंदरता नहीं होती
काले गोरे का भेदभाव ये कैसा
दिल में झांक कर के तो देखो
काले के दिल में सादगी
तो कहीं गोरे के दिल में होगा धोखा
बदसूरती की निशानी
मोटे पतले शरीर की बनावट
जब मन ही है कपटी
तो किस काम की है ये दिखावट
ओढ़े बैठे है सब नकाब
खूबसूरती कह कर जिसको
खूबसूरती तो कहते उसको
जो बहता मां के चेहरे से
रोटी बना गर्मी में पसीना बन कर
तेज धूप में खेती करती
औरत के चेहरे की धूल
वो मेहनत की सुंदरता है
उसे गंदकी समझने की ना कर तू भूल
शरीर को सुन्दर बनाते बनाते
दिल को पीछे छोड़ दिया
किस काम की वो सुंदरता
जब दिल को ही घमंड से ढक दिया
शरीर स्वस्थ बनाओ
लेकिन मन को मत पछाड़
जब मन ही होगा गंदा
तो छरहरी काया और सुन्दर चेहरा
दुनिया को लगेगा सिर्फ कबाड़
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