राजनीति की खेती

धूप हो आंधी हो या हो बारिश
अपने काम से पीछे नहीं हटता है
हम तो एयर कंडीशनर में बैठ कर रोटी खाते है
और वो पसीने से लथपथ हो कर खेत जोतता है
आज परेशान है वो 
जिसे सारा जमाना अन्नदाता कहता है

दिन रात मेहनत कर के
जो दूसरों का पेट भरता है
देखो आज वही किसान
सड़को पर भूखा बैठा है 
कोई तो सुनलो उनकी बातें
आखिर वो कहना क्या चाहता है

ये कैसी राजनीति है जहां
सरकार चुप्पी साधे बैठी है
वजह क्या है कोई ना जाने 
कि सरकार कुछ क्यों नहीं कहती है

दिल्ली को पूरा हिला डाला है 
मतलबी सरकारों का हाल कुछ ऐसा है 
किसी के हाथ में डंडा तो कहीं फूलों कि मला है
पता नहीं आखिर इसका क्या अंजाम होने वाला है

बात तो छोटी मोटी है 
राजनीति ने अपना तड़का डाला है 
ऊपर तो सब सही है दिखता
लेकिन अंदर से दाल में कुछ काला है
देखते है आखिर कि आगे अब क्या होने वाला है



3 Comments:

Anonymous said...

Bahut acha likha hai

Supraghu said...

Nice

Anonymous said...

Acha likhti ho

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