दिमाग से अपाहिज

अरे उनकी बातों का क्या बुरा मानना 

जो मां बाप के सगे नहीं 
अनसुना बात की कर दो उनकी 
क्युकी इस से ज्यादा उनके बस की 
कुछ और है भी नहीं 

बस में अपने रहते नहीं 
दिन रात बस भौंकते है 
दूसरों को भला बुरा कह कर
खुद को न जाने क्या समझते है 

२ कौड़ी की औकात नही
अपनों से ही बैर रखते हैं
गाली गलौच करा लो बस 
बातों से वो दिमागी अपाहिज लगते है 

तरस आता है हालत पर उनकी 
पर कर भी क्या सकते  है 
दूर रहो एसो से 
ये अपनी झूटी शान के लिए
किसी भी हद्द तक जा सकते है

 


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