वो और उसकी जिंदगी

उसके जीने की वजह 

सदियों पहले मिट गई

सीने में जो आग थी 
वो भी कब की बुझ गई

सपना देखा था छोटा सा कोई
पर अब तो वो उसको भी भूल गई

सब उससे आगे निकल गए
लेकिन वो जहां थी वही की वहीं रह गई

इतना पीछे है की आगे सब सूनसान है 
और बिना उम्मीद के  वो अकेले चल गई

कहना था ना जाने क्या क्या
लेकिन हालातो के सामने ,वो खामोश हो गई

समय बदला और दुनिया भी बदली
और वो? वो तो जैसे एक ही जगह थम गई

तड़पती है रूह खुद को तराशने को
लेकिन उसकी तो अब सांसे ही जम गई

हार नहीं मानी उसने अभी भी 
क्यूंकि....तलाश में है वो एक नई जिंदगी की 
पर पुरानी जिंदगी में तो वो कब की मर गई 




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