कृष्णा
राधा के प्रेमी भी है
तो रुक्मणि के प्राणाधार भी है
सुदामा के मित्र भी है
तो पार्थ के सखा भी है
वो यशोदा के लाल भी है
और देवकी के नंदन भी है
एक हाथ में बांसुरी है
तो एक हाथ में लड्डू भी है
मीरा की भक्ति जिनसे है
वो उद्धव के ईस्ट भी है
गोकुल के ग्वाला भी है
और द्वारिका के राजा भी है
गोपियों को छेड़ते वो कृष्ण कन्हैया है
तो श्रीमद भगवद्गीता के रचयिता भी है
वो रणछोड़ है
तो अर्जुन को महाभारत जिताने वाले भी है
कंस के संहारक है
तो सांदीपनी के शिष्य भी है
कर्मों का फल देने वाले भी है
और सबके भाग्य विधाता भी है
कृष्णा कहो या कान्हा कहो
वही हम सबके कर्ता धर्ता भी है
0 Comments:
Post a Comment