दिल की गहराइयों में ढूंढ रही हूं कुछ
मन को शांत कर के
मिल जाए सुकून शायद
इसलिए मैं खामोश हूं
कहना बहुत है
पर पता नही किस बात का डर है
शायद समझ जाए कोई खामोशी
इसलिए मैं खामोश हूं
लफ्ज़ हो गए हैं गुम
और आंखों में पानी है
छलक न जाएं कही ये आसूं
इसलिए मैं खामोश हूं
सुकून की तलाश में बहुत दूर निकल आई हूं
रास्ता भी गया है खो
कुछ कर पाना भी मुस्किल है
इसलिए मैं खामोश हूं
मत पूछो हालातों को
बदल गया है सब
बोलने से होगा नही कुछ
इसलिए मैं खामोश हूं
संभाला है खुद को
बड़ी मुश्किल से
टूट न जाए ये सब्र का बांध
इसलिए मैं खामोश हूं
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