आओ तुम्हे कुछ बताते है
दिल खोल कर आज कुछ कहते है
हां तो सुनो बात कुछ ऐसी है
दुनिया की उल्झनों में उलझे है पर
फिर भी तुम्हारे साथ चलना चाहते है
नियति तो यही है की साथ नही है
तुम कहां और मैं कहां हमारा कोई मेल नहीं है
फिर भी दिल का रिश्ता जुड़ा है ख्वाबों में जीने के लिए
क्युकी असल में तो कोई उम्मीद ही नहीं है
कुछ पल का साथ है फिर लंबी दूरी होगी
न जाने हमारी कोई ख्वाहिश कब पूरी होगी?
मैं नही साथ पर मेरी यादे होंगी
होठों पर लाख मुस्कान सही पर आंखे तुम्हारे लिए नम ही होंगी
याद आते हो जब जब अपना नाम पड़ते है
मेरा नाम भी तुम्हारे नाम से जुड़ा है ,काश वो सांसे भी जोड़ देता
जिस हिसाब से हम आपस में रहते है
वैसे ही काश वो हमको भी वैसे ही एक कर देता 🫰
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